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कितना सरल है जीवन




कितना सरल है जीवन

जी लें यदि सादगी से
और चिंता भी न हो कल की
होने दो जो हो रहा है
इसी का नाम है जिंदगी।
दुनिया में आने वाले
कर लें तू नेक कमाई
कितना सरल चलन है
कितना सरल है जीवन।
शब्द संभाल के बोलिए
शब्द के हाथ पांव होता है
मुख से निकला हुआ शब्द
वापस कभी न आयेगा।
रखना है मन पे काबू
भक्ति का मंत्र जपना
सिर्फ मुक्ति का ध्यान रखना है
कितना सरल है जीवन।
इक रतन सजा है अंबर में
प्रभु जी बसते है दिल के अंदर में
फूलों के साथ होता है कांटे भी
हंसना और रोना भी होता है साथ साथ में।
सिक्का का होता है दो पहलू
यही बात है समझना
प्यारा मिला है ये जीवन
जप लें प्रभु जी के नाम को तू।
तन मन धन कर दें प्रभु जी को अर्पण
तो प्रभु जी का होगा दर्शन
कितना सरल चलन है
कितना सरल है जीवन।

नूतन लाल साहू



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2 Comments

बढ़िया अभिव्यक्ति

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